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नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है। रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हिंदू संगठनों ने इस विधेयक के समर्थन में महापंचायत आयोजित की और वक्फ बोर्ड को पूरी तरह खत्म करने की मांग उठाई। इसी दौरान स्वामी दीपांकर ने बड़ा बयान देते हुए सवाल किया, “यदि देश धर्मनिरपेक्ष है तो वक्फ बोर्ड की जरूरत क्यों है?”

हिंदू संगठनों ने किया विरोध महापंचायत में शामिल हुए हिंदू संगठनों ने अपने बैनरों पर लिखा – “सभी समान हैं तो वक्फ क्यों?” इस दौरान स्वामी दीपांकर ने कहा,”अगर देश धर्मनिरपेक्ष है तो वक्फ बोर्ड असंवैधानिक है। इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन किया है, जो सही दिशा में एक कदम है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करने की जरूरत है।”

विपक्ष ने जताया विरोध लोकसभा में लंबित वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला बताया। ओवैसी का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल कर इसके प्रशासन में हस्तक्षेप करने का प्रयास है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 26 और 225 का उल्लंघन करता है।

ओवैसी ने केंद्र पर लगाया आरोप.ओवैसी ने कहा, “जब दूसरे धर्मों के बोर्ड में सिर्फ उसी धर्म के लोग सदस्य होते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को क्यों जोड़ा जा रहा है? यह बिल वक्फ की सुरक्षा या अतिक्रमण हटाने के लिए नहीं, बल्कि मुस्लिमों को उनकी धार्मिक प्रथाओं से दूर करने की साजिश है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा और आरएसएस इस विधेयक के जरिए मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों को निशाना बना सकते हैं।

क्या कहती है सरकार?सरकार का तर्क है कि वक्फ बोर्ड के नियमों में संशोधन आवश्यक था ताकि पारदर्शिता बनी रहे और अवैध कब्जों को रोका जा सके। हालांकि, इस मुद्दे पर देश में राजनीति गरमाती जा रही है।

क्या वक्फ बोर्ड को खत्म किया जाना चाहिए या नहीं? यह बहस अब और तेज हो गई है।

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