मुजफ्फरनगर: जिले का नाम बदलने की मांग अब एक कदम और आगे बढ़ गई है। जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर करने के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दी गई। साथ ही, 25 करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्यों को भी मंजूरी दी गई है।
बैठक में उठे अहम मुद्दे जिला पंचायत सभागार में आयोजित इस बैठक में कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, बिजनौर लोकसभा सांसद चंदन चौहान, बुढ़ाना विधायक राजपाल बालियान, और सपा नेता राकेश शर्मा समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि बैठक में लिए गए फैसलों का सीधा लाभ जनता को मिलेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मेरठ एसपी के सड़क पर नमाज पढ़ने पर पासपोर्ट और लाइसेंस निरस्त करने वाले बयान से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, यह प्रशासन का व्यक्तिगत बयान है।
नाम बदलने पर बंटे रहे विचार बिजनौर सांसद चंदन चौहान ने कहा कि मुजफ्फरनगर का नाम बदलने को लेकर अलग-अलग राय हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि “विकास जरूरी है, नाम बदलने से कुछ नहीं होगा।”
विकास कार्यों को मंजूरी जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल निर्वाण ने बताया कि 25 करोड़ की लागत से सभी वार्डों में विकास कार्य होंगे। इन प्रस्तावों पर सर्वसम्मति से सहमति जताई गई है।
विधायक ने जताई नाराजगी बुढ़ाना विधायक राजपाल बालियान ने बैठक में प्रशासनिक अधिकारियों की गैर मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा कि “अगली बार अधिकारी खुद मौजूद रहें, ताकि समस्याओं का समाधान तुरंत हो सके।”
क्या मुजफ्फरनगर अब लक्ष्मीनगर बनेगा? अब सवाल उठता है कि क्या मुजफ्फरनगर का नाम आधिकारिक रूप से लक्ष्मीनगर रखा जाएगा? इस प्रस्ताव पर आगे सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, इस पर राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ गई है।
आपकी राय क्या है? क्या नाम बदलने से जिले का विकास होगा या यह सिर्फ राजनीति है?