नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश में विवाद गहराता जा रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने स्पष्ट किया है कि यदि यह विधेयक राज्यसभा से पारित हो जाता है, तो पर्सनल लॉ बोर्ड इसे अदालत में चुनौती देगा।
नीतीश कुमार और नायडू की भूमिका पर उठे सवाल मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि मुस्लिम समाज को उम्मीद थी कि जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार और तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू इस विधेयक का विरोध करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने विपक्षी दलों की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए और कहा कि अगर सभी दलों ने ठोस तथ्यों के साथ विरोध किया होता, तो स्थिति अलग होती।
जिलाधिकारियों को मिलेगा वक्फ संपत्तियों पर अधिकार विधेयक के पारित होने के बाद वक्फ संपत्तियों के मामलों में अब वक्फ बोर्ड की बजाय संबंधित जिलाधिकारी निर्णय लेने के लिए अधिकृत होंगे। उत्तर प्रदेश में 98% वक्फ संपत्तियां अभी तक राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं, जिन पर अब संकट मंडराने लगा है।
यूपी में 57792 सरकारी संपत्तियों पर विवाद उत्तर प्रदेश में 57792 सरकारी संपत्तियां अवैध रूप से वक्फ संपत्तियों के रूप में दर्ज हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 11712 एकड़ है। सरकार का कहना है कि इन संपत्तियों को नियमों के तहत वक्फ नहीं किया जा सकता था। नए कानून के तहत ये संपत्तियां वक्फ के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो जाएंगी और स्थानीय प्रशासन इन्हें अपने कब्जे में ले लेगा।
विवादों की सुनवाई अब जिलाधिकारी करेंगे यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की गोपनीय रिपोर्ट के अनुसार, कई सार्वजनिक उपयोग की जमीनें गलत तरीके से वक्फ के रूप में दर्ज की गई हैं। रामपुर, हरदोई समेत कई जिलों में निजी भूमि को भी वक्फ संपत्ति घोषित किए जाने के मामले सामने आए हैं। अब इन सभी विवादों की सुनवाई जिलाधिकारी करेंगे और 1952 के राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय लेंगे।
वक्फ संशोधन विधेयक के प्रभाव को देखते हुए मुस्लिम समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से इस बिल को चुनौती देने की तैयारी की जा रही है। वहीं, सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए जरूरी है।