नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को जहां देश की राजनीति में एक साहसिक कदम माना जा रहा है, वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसका समर्थन करते हुए सरकार से व्यावहारिक सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने कहा, “अगर हम पाकिस्तान को पानी नहीं देंगे, तो उसे स्टोर कहां करेंगे?”
सरकार के फैसले का समर्थन, लेकिन व्यावहारिक सवाल भी नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद ओवैसी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सिंधु जल संधि को निलंबित करना एक साहसिक फैसला है और वह इसका पूरा समर्थन करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मरक्षा से जुड़ा मामला है।
“आतंकी पनाहगाह देशों के खिलाफ कार्रवाई में हिचक ना हो”ओवैसी ने कहा कि केंद्र सरकार को उन देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो आतंकवादी संगठनों को पनाह देते हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि भारत को आत्मरक्षा के तहत हवाई और समुद्री नाकाबंदी करने, और पाकिस्तान को हथियार बेचने पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।
पहलगाम हमले पर गुस्सा, सुरक्षा चूक पर सवाल ओवैसी ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन मैदान में हुए आतंकी हमले पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने पूछा, “हमले के दौरान CRPF की तैनाती क्यों नहीं थी? QRT (क्विक रिएक्शन टीम) को वहां पहुंचने में एक घंटा क्यों लग गया? ”उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हमले के दौरान लोगों से उनका धर्म पूछकर उन्हें गोली मारी गई, जो कि एक “टारगेटेड और घोर सांप्रदायिक हमला” है।
सर्वदलीय बैठक में बनी आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की सहमति बैठक में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, एस. जयशंकर, किरेन रिजिजू, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत कई बड़े नेताओं ने भाग लिया। सभी नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने पर सहमति जताई।
हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है।