मुज़फ्फरनगर: दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रस्तावित किसान महापंचायत को सरकार द्वारा रद्द किए जाने के बाद भारतीय किसान यूनियन अंबावता के कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई। विरोध स्वरूप संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
रातों-रात रद्द की गई किसान महापंचायत
भारतीय किसान यूनियन अंबावता के युवा प्रदेश अध्यक्ष इसरार हाशिम ने बताया कि इस महापंचायत की तैयारियां पिछले कई महीनों से चल रही थीं, लेकिन देर रात सरकार के दबाव में इसे रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह फैसला किसानों की आवाज दबाने का प्रयास है। इसी कारण संगठन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी रिशिपाल अंबावता के निर्देश पर देशभर के सभी जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन सौंपने का फैसला किया।
7 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा
किसानों ने सरकार के सामने 7 प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर पूरी फसल की गारंटी का कानून बनाया जाए।
2. सभी किसानों को कर्जा मुक्ति दी जाए और किसान आयोग का गठन किया जाए।
3. वृद्धा पेंशन को पूरे देश में एक समान ₹5000 प्रति माह लागू किया जाए।
4. गन्ना किसानों का बकाया भुगतान गन्ना एक्ट के अनुसार 14 दिन के भीतर कराया जाए।
5. किसानों को फसलों के उचित दाम मिले और खेती को मुनाफे का व्यवसाय बनाया जाए।
6. बिजली, डीजल और खाद के दामों में कटौती की जाए।
7. किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक स्थायी तंत्र बनाया जाए।
सरकार पर लगाए आरोप
इसरार हाशिम ने कहा कि सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है और यही वजह है कि महापंचायत की अनुमति को अचानक रद्द कर दिया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांगों को जल्द नहीं माना गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
अगली रणनीति का ऐलान जल्द किसान संगठनों ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों को अनसुना करती है, तो वे आने वाले दिनों में बड़ा कदम उठा सकते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की ताकि किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द निकाला जा सके।
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि सरकार इस ज्ञापन और किसानों की मांगों पर क्या रुख अपनाती है।