मुगल शासक औरंगजेब को लेकर देशभर में जारी विवाद अब उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद तक पहुंच गया है। महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग से उपजा विवाद अब एक अजीब मोड़ पर आ गया है, जहां गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर बहादुर शाह ज़फर की तस्वीर को गलती से निशाना बना दिया गया।
गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर वर्षों पहले सौंदर्यकरण के तहत स्वतंत्रता सेनानियों की पेंटिंग्स बनाई गई थीं, जिनमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे, बहादुर शाह ज़फर और अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तस्वीरें शामिल हैं। इन्हीं में एक तस्वीर को औरंगजेब समझकर हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने उस पर कालिख पोत दी।
नेतृत्व में पिंकी चौधरी, निशाना गलतहिंदू रक्षा दल की अध्यक्ष पिंकी चौधरी के नेतृत्व में कार्यकर्ता स्टेशन पहुंचे और मुस्लिम आक्रांताओं के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तस्वीर पर कालिख पोत दी। लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं चला कि वह औरंगजेब नहीं, बल्कि देश के आखिरी मुगल सम्राट और स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक बहादुर शाह ज़फर की तस्वीर थी।
ऑफ कैमरा खुलासा – GRP ने बताई सच्चाईघटना के बाद जब GRP स्टेशन इंचार्ज से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ कहने से मना कर दिया, लेकिन ऑफ कैमरा पुष्टि की कि विवादित तस्वीर औरंगजेब की नहीं थी, बल्कि बहादुर शाह ज़फर की थी। GRP ने यह भी स्पष्ट किया कि इन पेंटिंग्स का उद्देश्य देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मान देना था।
क्या यह एक जानबूझकर की गई गलती थी या जानकारी का अभाव?इस पूरी घटना ने न सिर्फ गफलत को उजागर किया, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया कि कहीं राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर तो नहीं पेश किया जा रहा है? एक स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीर के साथ ऐसा व्यवहार न केवल असावधानी को दर्शाता है, बल्कि देश के गौरवपूर्ण इतिहास का भी अपमान है।
अब देखना यह है कि रेलवे प्रशासन, स्थानीय पुलिस और शासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है, और क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई की जाती है या यह मामला भी महज एक ‘गलती’ कहकर रफा-दफा कर दिया जाएगा।