शाह अलर्ट

जम्मू-कश्मीर के पहले गेम में हुए आतंकवादी हमलों के बाद जोसेफ और एसके की लहर है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर स्थित मीरापुर ग़ालिब के मदरसा इस्लामिया जामिया के छात्रों ने एक इमामिया पहल करते हुए उग्रवादी शांति मार्च निकाला।

🕊️ “दहशतगर्दी बंद करो, अमन कायम करो” — छात्रों की बुलंद आवाज

22 अप्रैल को पहलगाम की बेहसम घाटी में हुए हमले में आतंकवादियों ने 27 निर्दोष पर्यटकों को उनके धर्म पूछकर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। इस हृदयविदारक घटना के विरोध में मदरसे के छात्र और शिक्षक सड़कों पर उतरे, हाथों में शांति और एकता के संदेश वाली तख्तियां लिए, उन्होंने कस्बे में एक शांतिपूर्ण जुलूस निकाला।

🕌 मौलानाओं और शिक्षकों की उपस्थिति में हुआ आयोजन

इस जुलूस में मौलाना अरशद कासमी, मौलाना आस मोहम्मद, मौलाना शाहिद, कारी सुएब, मौलाना हारून, मुफ़्ती अय्यूब, मौलाना अब्दुल रऊफ, मास्टर मइनुद्दीन समेत मदरसे के तमाम शिक्षक व प्रबंधन सदस्य शामिल रहे। सभी ने मिलकर एक स्वर में आतंकवाद की कड़ी निंदा की और सरकार से इसे जड़ से खत्म करने की पुरजोर अपील की।

📢 “इस्लाम अमन का पैगाम देता है, दहशतगर्दी इसका हिस्सा नहीं”

मार्च के दौरान वक्ताओं ने जोर देते हुए कहा कि इस्लाम एक शांति पसंद धर्म है जो इंसानियत, भाईचारा और सबके साथ न्याय की बात करता है। आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना न केवल अनुचित है, बल्कि समाज के लिए भी खतरनाक है।


समाज को एकजुट करने वाली मिसाल

मीरापुर के इस छोटे से कस्बे में मदरसे द्वारा उठाया गया यह कदम देशभर के लिए एक मिसाल है। यह बताता है कि हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है कि वह नफरत और हिंसा के खिलाफ खड़ा हो, चाहे वह किसी भी धर्म या पृष्ठभूमि से हो।

यह जुलूस इस बात का प्रमाण है कि भारत के मुस्लिम समुदाय का बड़ा तबका आतंकवादियों को पूरी तरह से खारिज कर देता है और देश की एकता, अखंडता और अमन के साथ कायम है।

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