9 महीने बाद अंतरिक्ष से घर वापसी
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगी बुच विल्मोर ने स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होकर पृथ्वी पर वापसी कर ली है। उनका कैप्सूल 19 मार्च की सुबह 3:27 बजे (भारतीय समयानुसार) फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में स्पलैशडाउन हुआ।
यह मिशन जून 2024 में केवल एक सप्ताह के लिए लॉन्च किया गया था, लेकिन अंतरिक्ष यान में हीलियम रिसाव और वेग में कमी के चलते उन्हें 9 महीने तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहना पड़ा।
अंतरिक्ष में 9 महीने: कैसा रहा सफर?
सुनीता विलियम्स ने इन 9 महीनों में ISS पर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और स्टेशन की मरम्मत में मदद की।
अंतरिक्ष में लंबी अवधि बिताने के कारण उनका शरीर माइक्रोग्रैविटी का आदी हो गया था, जिससे पृथ्वी पर लौटते ही उन्हें गुरुत्वाकर्षण से तालमेल बैठाने में कठिनाई हो सकती है।
उन्होंने भोजन, पानी और व्यायाम जैसी दैनिक आवश्यकताओं को किस तरह पूरा किया, यह एक अध्ययन का विषय है।
वापसी के बाद पहला दिन: कैसी रही चुनौती?
पृथ्वी के वातावरण और गुरुत्वाकर्षण में लौटने के बाद शरीर को सामान्य स्थिति में आने में समय लगता है।
सबसे पहली मेडिकल जांच हुई, जिसमें उनके हड्डियों की ताकत, रक्तचाप और मानसिक स्थिति की जांच की गई।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों को वापस आने पर चक्कर आना, बैलेंस की समस्या और मतली जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
नासा के डॉक्टरों ने बताया कि इस दौरान उनके मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है, और शरीर में तरल पदार्थों का पुनः वितरण होता है, जिससे ब्लड प्रेशर प्रभावित हो सकता है।
सुनीता विलियम्स ने क्या कहा?
वापसी के बाद, सुनीता ने कहा—> “अंतरिक्ष में बिताया हर पल यादगार था, लेकिन अब घर लौटकर अच्छा महसूस हो रहा है।”उन्होंने आगे बताया कि वह अपने परिवार और पालतू कुत्तों से मिलने के लिए बहुत उत्साहित थीं।
क्या आगे होगा?
अगले कुछ हफ्तों तक सुनीता विलियम्स को रिकवरी प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें एक्सरसाइज और विशेष डाइट शामिल होगी।
वैज्ञानिकों के लिए यह मिशन बेहद महत्वपूर्ण रहा क्योंकि यह अध्ययन करेगा कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद इंसानी शरीर कैसे रिकवर करता है।
सुनीता विलियम्स की यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह आने वाली मंगल और चंद्र अभियानों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगी। उनकी हिम्मत और समर्पण ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अंतरिक्ष अन्वेषण में मानवता की कोई सीमा नहीं है।