अमृतसर । शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने नवंबर 1984 में देश और दिल्ली के विभिन्न शहरों में सिख नरसंहार में मारे गये लोगों की याद में गुरुवार को एक मंडली का आयोजन किया।एसजीपीसी के महासचिव भाई गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने इल्जाम लगाते हुए कहा कि नवंबर 1984 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों में सिखों का नरसंहार किया गया था। उन्होंने कहा कि यह एक घिनौना कृत्य है, जिसका कलंक कांग्रेस पार्टी के माथे पर हमेशा रहेगा। उन्होंने सिख नरसंहार के मामले में कांग्रेस नेता कमल नाथ को निर्दोष साबित करने के प्रयास के कांग्रेस पंजाब अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह राजा वारिंग के बयान की भी कड़ी आलोचना की।एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि 39 वर्ष बीत जाने के बाद भी नवंबर 1984 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा दिल्ली सहित देश के विभिन्न स्थानों पर किये गये सिख नरसंहार के घाव दुखद हैं और सिख समुदाय को न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि नवंबर 1984 में सरकार के इशारे पर सिखों पर कई दिनों तक कहर बरपाया गया, जिसने दुनिया के हर संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। यह सरकार की ओर से किया गया मानवता के विरुद्ध क्रूर कृत्य था, जिससे कांग्रेस कभी भी बरी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सिख जनसंहार के दोषियों को ऊंचे पद देकर बचा रही है। उन्होंने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिन्दर सिंह राजा वारिंग के उस बयान को भी सिखों के घावों पर नमक बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली सिख जनसंहार में कांग्रेस नेता कमल नाथ की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा कि राजा वड़िंग के बयान से कांग्रेस नेताओं का सिख विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है।
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